Sunday, 20 March 2016

होली पर हुल्लड़ का निबंध



(पांचवीं पांच बार से फेल हो रहे हुल्लड़ लाल जब छठी बार पेपर देने पहुंचे तो उन्होंने पेपर में सिर्फ एक प्रश्न का ही उत्तर दिया। वह जवाब था होली पर अनोखा निबंध। लेखक के हाथ उस निबंध की सत्यापित प्रतिलिपि लगी है,पेश है उस निबंध के अनकट अंश...।)

होली पर निबंध

1-  हमका ई नाही मालूम कि होली कबसे खेली गई। पर इतना जरूर मालूम है कि भक्त प्रहलाद जब अपनी बुआ होलिका की गोदी मा बैठा राहे तबही कउनो ससुर आगी लगा दीस। चूंकि प्रहलाद भक्त राहे तो उइका भगवान बचा लीन। बुआ भगवान का नाही पूजती राहे सो भगवान उन पर ध्यान नाही दीन और  वुई जल गई। तबही से ई होली की परंपरा पड़ी।
2- पूरे इंडिया मा सबसे अच्छी होली बृज मा खेली जावत है।एक शख्स हमका बताईस राहे कि फाल्गुन के मौसम मा जब आदमी लोगन का दिमाग सटक जावत है तब वहां की औरतें लाठियन से होली खेलती हैं। लाठी मार-मार कर वुई सटके हुए दिमाग का तुरंत ठीक कर देती है।  कहा जावत है कि पत्नियन का ई होली बहुत पसंद है। इसी की तर्ज पर वुई साल भर अपने बिगड़े पति के साथ होली खेलती है और दिमाग ठिकाने लगाती हैं।
3-अपने शोले पिक्चर के विलेन गब्बर भाई का होली बहुत पसंद राहे। वुई बिचरऊ हमेशा पूछत राहे होली कब है..पर कउनो जवाब नाही देवत राहे। उनके साथी सांभा और कालिया हमेशा अकेले मा उनका ई सवाल पर गरियावत राहे।मौका पाकर जय और वीरू उनका निपटा दीन। बेचारे बिना होली खेले ही निकल लिए।
4-   हमेशा सरकार होली से ठीक पहले ही बजट पेश करती है। ई के पीछे लॉजिक ई बता जावत है कि त्योहार से पहले सरकार चेतावनी देवत है कि बेटा त्योहार मा ज्यादा पैसा न लुटाओ, पहले टैक्स चुकओ। बेचारे आम आदमी की होली हर बार यही टेंशन मा ही गुजर जाती है।
5-   भंगेडियों और नशेड़ियों का महापर्व है होली। पूरे साल इस प्रजाति के लोग इसका बेसब्री से इंतजार करता है। होली वाले दिन तो कई लोग इतना ज्यादा लोड हुई जावत है कि उनका सामान्य होए मा हफ्ता भर से ज्यादा बीत जावत है। नशेड़ी भाई इस पर्व पर एकजुटता का संदेश देते हैं। वे एकजुट होकर नशा करते हैं और समाज में फैली जातपात की बुराईयो को दूर होने का संदेश देते हैं। भारत में जितने बड़े भी नशेड़ी और गंजेड़ी प्रसिद्ध हुए उनको होली के माध्यम से ही प्रसिद्धि मिली।
6-   होली सरकारी अधिकारियन का भी प्यारा त्योहार है। होली के पास ही ई अधिकारी लोग अचानक जागरूक हुई जावत है और घूमघूम कर मिलावट करे वाले और टैक्स चोरी करे वाले लोगन का पकड़त है। दबी जुबान मा लोग काहत है कि ई सब ऊपर कमाई का चक्कर राहत है। पर भइया खुशी ई बात की होत है कि कम से कम ई लोग एक महीना तो काम करत है। 
7-   होली मा दुई कुछ खास प्रजातियन के लोगन का ज्यादा प्रभाव माना जावत है। वुई हैं देवर-भाभी और जीजा-साली। इन लोगन की होली बड़े उच्च किस्म की मानी गई है। इस पर कई रचनाकारों ने बड़े-बड़े ग्रंथ रच डाले हैं। अब सवाल ई बात है कि आखिर वुई कउन राहे जो इन लोगन की होली का सर्वश्रेष्ठ बताई दीस। अरे भइया ई धरती पर और लोग भी तो हैं उनकी होली के बारे मा भी तो कछु बताओ।
8-   होली एकमात्र ऐसा त्योहार है जेमा फटे-पुराने कपड़े, घिसे जूते और चप्पल की सबसे ज्यादा डिमांड राहत है। ऐसी विशेषता और कउनो त्योहार मा नाही है।
9-   होली मा ही सज्जन प्रजाति के लोग भी मजबूरी मा दुर्जन बन जावत है। का करे बेचारे जब कउनो जबरन रंग के जावत है तो जवाबी कार्रवाई के लिए उन्हें मजबूरी मा रंग रूपी हथियार उठाना पड़त है।
10-  गुरुजी अब लिखे का आइडिया हुई गा है खत्म। सुनो हमरे बप्पा है पुलिस मा, चाचा ट्रैफिक मा, फूफा डॉक्टर, मौसा वकीलऔर मामा पत्रकार। ई के अलावा भी कई महकमन मा अपने खानदानी सेट हैं। पांच बार से फेल हुई रहा हूं...। ई बार अगर तुम हमका फेल कियो तो समझ लेयो हम तुम्हरी होली जरूर मना देब।
     बाकी चरणस्पर्श। शेष पास होने के बाद... ।

(नोटःयह कॉपी पढ़ने का बाद गुरुजी का संसार से वैराग्य उत्पन हो गया। वह नौकरी छोड़कर हिमालय की कंदराओं में तपस्या के लिए चले गए हैं)

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