Wednesday, 25 February 2015

यात्रीगण कृपया ध्यान दें...

यात्रीगण कृपया ध्यान दें...। इस वक्त आप सपनों के प्लेटफॉर्म पर खड़े हुए हैं। उम्मीद से भरी सपनों वाली एक्सप्रेस चलेगी या नहीं ये तो प्रभु ही जाने...। चंद घंटे में ही प्रभु की लीला का मंचन होगा, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। स्टेशन में घुसते वक्त आप अहसास करिए कि दुनिया की सबसे बड़ी रेल सेवाओं में से एक सेवा का आप हिस्सा बनने जा रहे हैं। टिकट के लिए कृपया हष्ट-पुष्ट आदमी ही लाइन में लगें, कमजोर आदमी किनारे खड़े होकर सामान ताके ताकि धक्कामुक्की में कोई नुकसान न पहुंचे। टिकट खरीदने से पहले कुछ छुट्टे पैसे साथ में जरूर रख लें वरना टिकट बाबू आपको भगा देगा और फिर से आपको इकन्ना एक दोनी दो...पढ़ना पड़ेगा। यदि आप ट्रेन के बारे में जानकारी करने के लिए पूछताछ केंद्र की सहायता लेने जा रहे हैं तो कृपया अपना रूट डाइवर्ट कर लें क्योंकि आपको वहां से कोई भी जानकारी नहीं मिलेगी। पूछताछ केंद्र के बाबुओं को अक्सर गायब रहने की बीमारी होती है। पूछने पर पता चलता है कि साहब लंच पर गए हैं, पान खाने गए हैं, लघुशंका को गए हैं थोड़ी देर में आते ही होंगे...वगैरह..वगैरह। आप भगवान का नाम लेकर प्लेटफॉर्म पर पहुंचिए। यहां आकर आपकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। क्योंकि कब कौन सी ट्रेन कौन से प्लेटफॉर्म पर आएगी ये तो प्रभु ही जाने...। यदि अचानक प्लेटफॉर्म बदलने की घोषणा होती है तो मैराथन के धावक की तरह आप दौड़ लगाइए और बताए गए प्लेटफॉर्म पर पहुंच जाइए। यहां आकर भी आप शुक्र न मनाइगा क्योंकि संभव है कि यह दौड़ आपको कई बार लगानी पड़े। बेहतर होगा कि आप घर से घुटनों की मालिश वाला तेल लेकर चलें ताकि कष्ट के समय कोई तो आपके दर्द को कम कर सके। अब पता करिए की ट्रेन कितने बजे प्लेटफॉर्म पर आएगी। यदि ट्रेन का समय आधा घंटा बताया जा रहा तो मान लीजिए कि कम से कम चार-पांच घंटे लगेंगे। क्योंकि हमारी ट्रेनों ने लेटलतीफी में जितने विश्व रिकॉर्ड रचे हैं उतना दुनिया की कोई भी ट्रेन नहीं रच सकी है। इस भाग-दौड़ में आपको प्यास लगी होगी। यदि आप प्लेटफॉर्म पर एक अदद नल तलाश रहे हैं तो रिस्क न उठाएं क्योंकि ज्यादातर प्लेटफॉर्मों के नल बरसों से पानी को तरस रहे हैं। वो नल कभी अपनी तो कभी अपने स्थापनाकर्ता की किस्मत को रोते हैं। आप अपने पास अवैध वेंडरों को मंडराते हुए देख रहे होंगे...। चौंकिए मत क्योंकि यहां पुलिस की कृपा से उनकी रोजी रोटी चल रही हैं। बैठने के लिए स्थान तलाश रहे हैं...वो तो आपको मिलने से रहा। बेहतर होगा कि आप प्लेटफॉर्म की जमीन पर बैठकर सुस्ता लें क्योंकि आपको सिर्फ ये स्थान ही मिल सकता है। आप अपने आसपास भारी भीड़ का अहसास कर रहे होंगे समझ लीजिए आपकी ट्रेन चंद पलों में आने वाली होगी। कृपया खुद में और साथ के यात्रियों में आप ऊर्जा का संचार करिए ताकि भीड़ के धक्के सहते हुए आप ट्रेन की बोगी में घुसने में सफल हो सके। लगता है आप ट्रेन के भीतर पहुंच चुके हैं। अब अपनी सीट तलाशिए..। ये क्या आपकी सीट पर तो कोई दूसरा बैठा हुआ है...। लड़ने की कोशिश मत करिएगा वरना आप बोगी से भी बाहर हो जाएंगे। टीटी की मदद लेने जा रहे हैं तो ये उम्मीद न रखे कि आपको सीट मिल ही जाएगी। यदि आपके पास चार सीटों के टिकट हैं तो उसके बदले आपको दो सीटें ही मिलेंगी। दबकर बैठिए और अपने गंतव्य तक जल्द से जल्द पहुंचने की प्रार्थना प्रभु से करिए। गंतव्य स्टेशन आने से पहले ही सामान लेकर खड़े हो जाइए...। यदि ट्रेन रुकने पर खड़े होंगे तो अगले स्टेशन पर ही उतर पाएंगे। खुद बाहर निकलने का प्रयास न करिए, भीड़ आपको खुद ब खुद बाहर पहुंचा देगी। स्टेशन पर आवारा जानवरों से बचते हुए निकलिए...। व्यवस्था को मत कोसिए...बल्कि खुद को उसके हिसाब से बदल लीजिए। धक्के खाते हुए आप स्टेशन से बाहर आ चुके हैं। हाथ जोड़कर प्रभु को धन्यवाद दीजिए और गंतव्य को निकल लीजिए। यह प्रक्रिया हर सफर में दोहराइए...आपकी यात्रा मंगलमय होगी। यात्रीगण कृपया ध्यान दें...।

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