Wednesday 4 March 2015

होली में हरी ठंडाई से बचना भाई...



होली हो और ठंडाई का जिक्र न हो ऐसा हो नहीं सकता। आदिकाल से बाबा भोलेनाथ के इस प्रसाद को लेकर होरियारो में अगाध आस्था रही है। मैंने आज तक ऐसी कोई होली नहीं देखी जिसमें ठंडाई के नशे में टुन्न भंगेड़ी न मिले हो...। कानपुर में तो होली पर खास किस्म की ठंडाइयों की भरमार आ जाती है। ठंडाई के नशे में हंसते-मुस्कुराते, रोते, खाते, सोते, दौड़ते-भागते और पगलाए होरियारों को देखकर लगता है कि इट्स हैपन्ड आनली इन इंडिया...। मुझे याद है एक बार मेरे दोस्तों ने होली पर मोहल्ले में ठंडाई वितरण का प्लान बनाया। तय हुआ कि दो तरह की ठंडाई बनाई जाएगी। एक सादी और दूसरी भयानक भांग से युक्त (यानी परम आनंद की प्राप्ति का प्रसाद)। हमने इसकी जिम्मेदारी अपने सबसे बड़े भंगेड़ी मित्र टुनव्वा को दी। वह इसलिए क्योंकि वह ठंडाई बनाने में एक्सपर्ट था। उसका दावा था कि उसने जीवन में सिर्फ एक ही विधा सीखी है और वो है ठंडाई बनाना। उसके बराबर इस दुनिया में कोई ठंडाई नहीं बना सकता। यदि ठंडाई बनाने में कोई नोबल पुरस्कार रखा जाता तो वह उसे ही मिलता। हम भोले-भाले उसकी बातों में आ गए। उसने हमको ठंडाई की सामग्री की लंबी-चौड़ी लिस्ट सौंपी। हम बिटिया की शादी में सामान कम पड़ने पर दौड़ते-भागते जनातियों की तरह वह सामान लेने के लिए दौड़ पड़े। कैसे-तैसे सारा सामान इकट्ठा किया गया। उसने सारी सामग्री देखी और एक पैकेट से भांग की छोटी सी गोली निकाल कर खुद भोग लगा लिया। उसका कहना था कि ये ठंडाई बनाने का टुटका है। किसी भी नशे की सामग्री को बेहतर बनाने के लिए खुद नशे में होना पड़ता है। हम उसके कहे अनुसार उसकी मदद करते रहे। फिर ठंडाई में भांग मिलाने के दौरान उसने सबको हट जाने के लिए कहा। हमने पूछा आखिर क्यों तो वह बोला इसलिए क्योंकि उसके गुरु भंगेड़ी लाल ने उससे सौंगध ली थी कि बेटा जब तुम ठंडाई में भांग मिलाना तो कोई भी इसे कतई न देखे वरना हमारा तुम्हारा गुरु-शिष्य का रिश्ता तुरंत खत्म हो जाएगा। ये गूढ़ विद्या है इसे किसी और को दिया तो तुम महापापी बनोगे। भइया हम अपने दोस्त के वचन की लाज रखने के लिए वहां से हट गए। थोड़ी देर बाद उसने हमें बुलाया और कहा जाओ बांट दो...। एक बाल्टी में उसने सादी और दूसरी में हरी भांग वाली ठंडाई होने की बात कहकर हमे विदा कर दिया। होली की मस्ती में हमने मोहल्ले में ठंडाई बांटनी शुरू कर दी। बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चों को हमने सादी और युवाओं को भांग मिली ठंडाई दी। एक घंटे तक सब ठीक रहा फिर तो मोहल्ले में हल्ला ही मच गया। हमारी 70 साल की रामदुलारी दादी हमें डंडा लेकर तलाशती हुई आई और चिल्लाने लगीं। नासपीटे, होली पर ऐसा मजाक किया जात है बुजुर्गन से...। मैंने पूछा क्या हुआ काकी...। वह बोली तोहार काका कह रहे हैं रामदुलारी हम ऊपर जाई रहन है...कहां का रखा है आओ समझ लेयो...। तोहार वास्ते हम एक लाख रुपया बैंक मा जमा कराई दिया हूं...ओके ब्याज से तोहार बुढ़ापा कट जाई...। अभी मैं उनसे बात कर ही रहा था तभी मेरे पीछे से मेरे चुन्नू चाचा आ गए। बोले मैं घर से क्या चला गया तूने अपनी चाची को क्या पिला दिया...। मैं खाना मांगने लगा तो कह रही है शटअप आज खाना तुम बनाओगे...और मैं खाऊंगी। इस बीच मोहल्ले में हल्ला मचा कि 14 साल का एक लड़का जिसका नाम रामजी था उसने खुद को बाथरूम में बंद कर लिया है और अंदर सो गया है...। मैंने महसूस किया कि ठंडाई का असर मेरे और मेरे दोस्तों पर भी होने लगा है। हम सभी एक-दूसरे को देखकर खूब हंस रहे थे...। दिल कह रहा है बेटा चुप हो जा...पर कमबख्त मुंह रुकने का नाम हीं नहीं ले रहा था। कैसे-तैसे हम अपनी हंसी छिपाते हुए दौड़ते हुए रामजी को बाथरूम से निकालने पहुंचे। बाथरूम का दरवाजा खोलकर उसे सोते हुए बाथरूम से निकालकर बाहर लाए। किसी ने बताया कि हमारा दोस्त गोलू बिजली के खंभे से चिपका जा रहा है और बार-बार कह रहा है आज तो मैं तुझसे शादी रचाऊंगा...। कैसे-तैसे उसे खंभे से छुड़ाकर हमने घर पहुंचाया। अभी हम आकर एक जगह इकट्ठा हुए ही थे तभी पता चला कि मोहल्ले के ही एक और बुजुर्ग राधेश्याम लगातार खाना खाते ही जा रहे हैं...घर वाले परेशान हो गए हैं। वो एक किलो आटे की पूरिया चट कर गए हैं और चिल्ला रहे हैं और लाओ...। हम तुरंत उनके घर पहुंचे और कैसे-तैसे नींबू चटाकर हमने उन्हें खाने से जुदा किया। इस बीच हमारे मोहल्ले का एक शख्स अपनी छत पर पटाखे छुड़ाने लगा...। घर वाले उसे मना रहे थे लेकिन वो चिल्ला रहा था हट जाओ आज मैं दिवाली मनाऊंगा...। हम कैसे-तैसे उसे छत से नीचे लाए। इधर हमारी हालत भी फूलों जैसी हो गई थी. हंस भी रहे थे और दिल से रो रहे थे और कह रहे थे हे भगवान ये क्या हो गया। जिसे देखो हमे देखकर मुंह बना रहा था...भला ऐसी ठंडाई बनाई जाती है...एक शख्स ने हमसे पूछा कौन बनाइस है ई ठंडाई। हमने जवाब दिया टुनव्वा...। सभी लोग टुनव्वा को पीटने के लिए पुलिस की तरह कांबिंग करने लगे। टुनव्वा एक ठेले पर औंधे मुंह सोते मिला। लोगों ने उसे हिलाकर पूछा क्यों रे तूने ठंडाई बनाई थी...उसने नशे में हंसते हुए जवाब दिया...हां...मजा आया। हमने कहा टुनव्वा तेरी सादी ठंडाई से लोगों की हालत बिगड़ गई है...क्या किया रे तूने। वह बोला..मेरे गुरु ने एक सौंगध और ली थी मुझसे...वो थी कि बेटा कभी सादी ठंडाई न बनाना। ये ठंडाई निर्माण की महान परंपरा का अपमान है। वो ठंडाई ही क्या जिसमें भांग न हो। तुम लोग मुझे ऐसा करने से रोकते इसलिए तुम्हें हटाकर मैंने सारी ठंडाई ही भांग वाली बना दी। यह कहकर वो सो गया और हम हंसते-हंसते रोने लगे। इस बार होली पर ठंडाई से सावधान रहिएगा...। 
कहानी जनहित में जारी।


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