Saturday 7 March 2015

व्हाट्स एप बाबा मुक्ति दो...


 
बीते साल दुनिया में सबसे ज्यादा बोले जाने वाले शब्द पर रिसर्च हुई तो पता चला कि वह शब्द ओके (आल करेक्ट) है। मैं इस शब्द से काफी प्रेरित हुआ। मैं भी ऐसा ही एक शब्द तलाशकर दुनिया में महान बनने की फिराक में जुट गया। मैंने ढेरों शब्दों का अध्ययन किया तो पता चला कि आजकल जो शब्द सबसे ज्यादा बोला जा रहा है वो शब्द है वाट्स एप पर हो न...। जब मैं इसकी गहराई में गया तो पता चला कि वाट्स एप बाबा तो बड़े महान हैं। बाबा जबसे इस धरती पर अवतरित हुए हैं तबसे उनके भक्तों का रेला दिनो-दिन बढ़ता जा रहा है। उन्होंने खासकर भारतीय समाज में जात-पात, ऊंच-नीच जैसी बुराइयों को मिटाकर सभी को एकता के सूत्र में बांध दिया है। जो बुराई हमारे नेताओं ने समाज को दी वह बाबा ने एक झटके में बिना किसी खर्च और अभियान के मिटा दी। मैं इससे काफी प्रभावित हुआ और मैंने झट से उनके दरबार में अपनी हाजिरी लगा दी। कुछ दिन तो सब ठीक-ठाक चला फिर अजब-गजब चीजें मेरे साथ होने लगीं। व्हाट्स अप पर मेरा एक मित्र ऐसा पगलाया कि वो दिन-रात मैसेज भेजने लगा। ऊंट-पटांग चुटकुले, किस्से-कहानी और न जाने क्या-क्या। रात भर उसके मैसेज की टू-टू सुनकर मेरी नींद से मेरा तलाक होने की नौबत आ गई। मैंने कैसे-तैसे उससे पीछा छुड़ाया। एक दिन एक कवि मुझसे टकरा गया। मैं जल्दी से निकलने का बहाना बनाने लगा। वो मुस्कुराते हुए बड़े इत्मिनान से बोला जाओ...भाई...बस अपना वाट्स अप नंबर बता जाओ..। मैंने काला पानी से छूटने की फिराक में झटपट एक सांस में अपना नंबर बता दिया। वो बोला जाओ मित्र...अब व्हाट्स अप पर मेरी रचनाएं पढ़ना और अपनी राय रखना। ये सुनकर तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। यार ये क्या हो गया व्हाट्स अप बाबा ने मुझे पकने का श्राप दे दिया। अब जब भी मैं व्हाट्स अप खोलता हूं तो उस कवि की लंबी-चौडी पकाऊ कविता खुलती है। ऐसे हालात में मैं कैसे खुद को संभाल रहा हूं मैं ही जानता हूं। एक दिन आफिस में मेरे साथी ने मोबाइल खोला और सिर पकड़ लिया। मैंने पूछा कि क्या हुआ भाई। वह बोला दोस्त मेरी पत्नी दस हजार रुपए की साड़ी ले आई है। शोरूम से उसने साड़ी की फोटो भेजी है। यार मैं पूरे साल भर में हजार रुपए की शर्ट-पैंट नहीं खरीद सका, उसने एक झटके में ही दस हजार उड़ा दिए। यह कहकर वह दिलीप कुमार वाली स्टाइल में सैड शीन में चला गया। मैंने दुखी पति समाज की ओर से उसे सांत्वना दी और प्रार्थना की कि हे प्रभु ऐसा कष्ट दुनिया के किसी पति को न दे। एक दिन मेरे फोन पर अचानक व्हाट्स एप की घंटी बजी। मैंने देखा कि बेटे ने डिमांड की है कि पापा घर आना तो खाना लेते आना...। आज मम्मी हड़ताल पर हैं...। मैंने व्हाट्स अप से पूछा कि क्यों...। तो उसने जवाब दिया कि मम्मी नानी और मौसी से व्हाट्स एप पर बात कर रही हैं। आज किसी टीवी सीरियल को लेकर चर्चा हो रही है। मम्मी ने कह दिया है कि आज सीरियल का खास एपिसोड आना है। उसमें क्या होगा, उसे लेकर मैं चर्चा कर रही हूं। पापा से कह दो खाना लेते आए। ये जानकार मैं दुख के सागर में डूब गया। वाह रे व्हाट्स अप बाबा...ऐसी कष्टकारी सुविधा दी हमें...। इसी तरह पता नहीं कहां से एक इंश्योरेंस एजेंट के हाथ मेरा मोबाइल नंबर लग गया। तबसे वह व्हाट्स अप पर तरह-तरह की पॉलिसियों का लेखा-जोखा और फायदे भेजने लगा। आप की मृत्यु के बाद परिवार को मिलेगा पूरा रिस्क कवर, बोनस और फलाना-ढिमाका। मौका हाथ से जाने न दें अभी तुरंत फायदा उठाएं। ये पढ़कर मैं डर गया, यार मेरे जिंदा रहते ही ये मुझे मरने के बाद के फायदे गिना रहा है। यानी मैं कमा-कमा कर इसका प्रीमियम भरते-भरते मर जाऊं और फायदा मेरा परिवार उठाएं। यार आखिर मैं क्यों नहीं हकदार हूं उस फायदे का सुख भोगने के लिए। मैंने फोनकर उस एजेंट को जमकर हड़काया और कहा कि खबरदार ये मरने-मारने वाली पॉलिसी की डिटेल व्हाट्स एप करी तो आकर तेरे ही प्राण ले लूंगा। पता नहीं उस शातिर एजेंट को क्या सूझी वो मेरी पत्नी को वो पॉलिसी की डिटेल व्हाट्स एप करने लगा। फिर क्या था मेरा घर में मरण शुरू हो गया। पत्नी ने भारी दबाव बनाते हुए कहा कि मरके चले जाओगे तो मैं क्या करूंगी। ज्यादा दिमाग खराब न हो...अभी ये पॉलिसी लो वरना तुम्हारी खैर नहीं। मैंने कहा कि मर तो मैं शादी के बाद से ही रहा हूं...अब तो औपचारिकता ही बाकी रह गई है। मैंने व्हाट्स एप पर उस एजेंट से पॉलिसी दे जाने का आग्रह किया तो जवाब मिला कि आपकी पॉलिसी भाभी जी पहले ही ले चुकी हैं। आप तीन माह बाद प्रीमियम टाइम पर जमा कर दीजिएगा। मैंने कहा वाह रे बाबा ये भी दिन दिखा दिए तुमने। अपने मरने का परवाना भी देखने को नहीं मिल सका। आजकल जो भी मिलता है वो दुआ-सलाम से पहले पूछता है कि व्हाट्स एप पर हो न....। मैं हां कहता हूं तो वह झट से मेरा नंबर ले लेता है। अब मैं उस घड़ी को कोसता हूं कि जब मैं बाबा के दरबार में पहुंचा था। अब तो मन से सिर्फ एक ही प्रार्थना उठती है हे बाबा अपने बंधन से हमें मुक्त करो...।


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