Thursday 5 March 2015

हुल्लड़ बाबा के होरियारे नुस्खे...


होली पर मजाक का अपना ही मजा होता है। लोग तरह-तरह से मजाक करते हैं। कुछ लोग तो बकायदा परचे छपवा कर लोगों को बांटते हैं। ऐसा ही एक परचा आज ही मेरे हाथ लगा था। परचे का शीर्षक था हुल्लड़ बाबा के होरियारे नुस्खे...। मैं पढ़कर चौंक गया। उत्सुकतावश मैंने वो परचा पूरा पढ़ा तो मेरे दिमाग की घंटी बज गई। उस परचे में दी गई चीजें मैं नीचे लिखने की कोशिश कर रहा हूं...।
हुल्लड़ बाबा के होरियारे नुस्खे
प्रिय भक्तजनों...। आज तो आपका मन होली खेलने के लिए बंदरों की तरह बहुत उछलकूद कर रहा होगा। बच्चा ज्यादा मत उलरो, इस वक्त तुम्हें अलर्ट रहने की जरूरत है...। वरना कोई भी तुम्हें बंदर बनाकर निकल जाएग। होली खेलने से पहले अपने साज-श्रृंगार की कुछ ये सामग्री जुटा लें...।
-    .फटे-पुराने कई जोड़ी कपड़े।
-    रिटायर हर्ड हो चुकी दो जोड़ी घिसी और फटी चप्पलें।
-    एक अदद मटमैली टोपी।
-    दो जोड़ी फटीचर मोजे।
-    एक ऐसा चश्मा जिससे कुछ न दिखता हो
-    एक अदद ऐसा रुमाल जो वाटरप्रूफ हो
-    पैसे रखने के लिए रैक्सीन वाली पोटली इत्यादि
अन्य सामग्री आप अपने श्रृंगार की जरूरत के अनुसार बढ़ा सकते हैं। पहले तो ऊपर दी गई सामग्री को यथानुसार एक-एक कर धारण करें। शायद आप तैयार हो चुके हैं। अब आपको नीचे कुछ गानों की कड़िया दी जा रही है...उन्हें आप गौर से पढ़े या सुनें...ध्यान रहे इस बीच आपको कोई डिस्टर्ब न करे वरना आपकी ऊर्जा का पुंज फ्यूज हो जाएगा और आप जगह-जगह रंगे जाएंगे। गहरी सांस लीजिए और नीचे पढ़िए...।
-    होली आई रे कन्हाई...
-    रंग बरसे भीगे चुनर वाली...
-    बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी...
-    आज न छोड़ेंगे तुझे हमजोली...
-    अंग से अंग लगाना, बलम मुझे ऐसे रंग लगाना..
-    अरे जा रे हट नटखट...
-    होली के दिन दिल खिल जाते हैं...
-    होली आई रे...
-    होरी खेले रघुवीरा अवध में, होरी खेले रघुवीरा..
-    होलिया में उड़े रे गुलाल..
-    जोगी जी वाह जोगी जी...
-    लेट्स प्ले होली...
-    मारो भर-भर पिचकारी....
शायद आपकी होरियारी बैटरी फुल चार्ज हो चुकी है। आप होली खेलने के मूड में आ चुके हैं। तो चलिए अब अपने कपड़ों में रंगों को छिपाना शुरू कर दीजिए। कोशिश करिए की रंगों की छोटी-छोटी पुड़िया बना लें। ध्यान रहे जितनी ज्यादा से ज्यादा पुड़िया आपके पास होगी उतना ही आपके विजयी रहने के चासेंज ज्यादा है....।

अब ये आहार ग्रहण करें
ठंडाई (भांग युक्त अथवा सादी) पीने का माद्दा हो तो ही ग्रहण करें।
भांग वाली ठंडाई पीने के बाद आपकी डाइट इस तरह की हो जाएगी।
20-25 गुझिया (कम हो तो कोटा बढ़ा सकते हैं)
100-150 आलू के पापड़
150-200 साबूदाने के पापड़
200-250 बाजारू पापड़
दो से तीन किलो नमकीन खुरमे, मटरी वगैरह
दो से चार किलो दालमोंठ यथाशक्ति अनुसार
पूड़ी, सब्जी, छोले, चावल, पुलाव, रायता, सलाद, पापड़ आदि।
(नोटः ये सामग्री बाबा ने अपने नाश्ते की लिखी है, भांग का नशा बढ़ने पर इस सामग्री में भयंकर इजाफा हो सकता है, .बाबा आजकल डाइटिंग पर हैं)

अब घर से निकलते वक्त ये बातें जरूर ध्यान रखना...
-    आज के दिन कोई प्यार से बुलाए तो समझ लेना दाल में काला है। रंगने की तैयारी हो रही है।
-    किसी भी घर के नीचे मत खड़े होना वरना ऊपर से कोई रंग डाल देगा।
-    मित्र कुछ खिलाने ले जाने की बात कहें तो अलर्ट हो जाना।
-    रंग खत्म हो जाने पर सामने वाले को इसका कतई अहसास न होने दें।
-    बचाव से ज्यादा आक्रमण की मुद्रा में रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे।
-    कोई रंग लगाने आए तो विरोध मत करिए वरना वो जबरन ज्यादा रंग लगा जाएगा।
-    ज्यादा रंग लगने की आपात स्थिती में सिर पर पैर रखकर भागने के लिए तैयार रहें।
-    संकट के समय में मित्रों को बचाने से ज्यादा खुद के बचाव पर जोर दें।
-    सामने वाले को ये अहसास कराए कि आपसे बड़ा इस धरती पर दूसरा रंग खेलने वाला नहीं है।
-    रंग के खाली पैकेटों से डराने की कोशिश करते रहें।

बाबा के इन गुरुमंत्रों के साथ आप रंगभूमि को प्रस्थान कर सकते हैं। आज के दिन बाबा का आशीर्वाद आपके साथ है। बहुत रंगे जाएंगे...अरे मतलब सामने वाले आप नहीं...। तो चलो गुरु हो जाओ शुरू...। हैप्पी होली....। 

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