Saturday 2 January 2016

नए साल पर महंगाई का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू



31 दिसंबर की रात लेखक सोया तो स्वप्नलोक में उसकी मुलाकात एक डायन से हो गई। लेखक ने डरते हुए पूछा कि कौन हो तुम तो जवाब मिला मैं इंडिया की सबसे बड़ी नॉन रजिस्टर्ड ब्रांड डायन महंगाई...हूं। लेखक ने हिम्मत करते हुए इंटरव्यू देने के लिए पूछा तो वह सहमत हो गई। पेश है उस एक्सक्लूसिव इंटरव्यू के असंपादित अंश तड़का मार के...।

लेखकः आपकी उत्पति किस काल में हुई...
डायनः (ही..ही...) इस बारे में तो मैं आपको स्पष्ट नहीं बता सकूंगी। हां इतना जरूर  बता सकती हूं कि मेरे पिता भ्रष्टाचार और मां सट्टावती है। इन दोनों ने ही मिलकर मुझे जन्म दिया था। कुछ साल पहले मैं बहुत छोटी थी अब मैं हट्टी-कट्टी डायन बन चुकी हूं।

लेखकः आपकी असल उम्र क्या होगी...।
डायनः देखिए उम्र वो लोग गिनते हैं जिन्हें मरने का डर होता है। मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं है। इसलिए मैं हमेशा अपने को सोलह साल की समझती हूं...।

लेखकः आपकी फेवरेट डिश कौन-कौन सी हैं...
डायनः (दोनों पंजे जोड़कर हंसते हुए) आम आदमी और गरीबों की कमाई मेरी सबसे फेवरेट डिश है। यदि उनका खून और पसीना मिल जाए तो आए हए...मजा आ जाए। (दोनों हाथ रगड़ते हुए)

लेखकः आपके परिवार में और कौन-कौन है...।
डायनः मेरा परिवार बहुत बड़ा है। कई दूर के रिश्तेदार भी इसमें शामिल हैं। कहीं न कहीं मेरा उनसे जुड़ाव है। बेरोजगारी, भुखमरी, अपराध, गरीबी आदि सब मेरे ही रिश्तेदार हैं।

लेखकः आप कहां रहना सबसे ज्यादा पसंद करती हैं...।
डायनः (शर्माते हुए) ...अब आप से क्या छुपाना...। मुझे भारत में रहना सबसे अच्छा लगता है। वहां मुझे पूरे परिवार का सहयोग मिलता है। साथ ही मेरे कुनबे के बढ़ाने के लिए अच्छा माहौल भी है। आई लव इंडिया...।

लेखकः आपके टारगेट पर आम आदमी और गरीब क्यों हैं...।
डायनः देख भइया...जिसके पास मोटा रुपइया है उसका मैं कुछ नहीं बिगाड़ सकती हूं। क्योंकि अमीरी के सामने मेरी सारी शक्तियां खत्म हो जाती है।  मैं ऐसे ही लोगों को निशाना बना सकती हूं जो गरीब, मेहनती और ईमानदार हों। ऐसे लोगों में आम आदमी और गरीब ही मुझे परेशान करने के लिए मिलते हैं और मैं अपने पूरे प्रयास से उन्हें छकाने का प्रयास करती हूं ताकि वह बार-बार मेरे नाम का स्मरण करते रहे।

 लेखकः आप हर साल अपने ब्रांड एबेंडसडर क्यों बदलती हैं...।
डायनः भई...मार्केटिंग के युग में मैं भी प्रोफेशनल हो गई हैं। बीते वर्षों में मैंने पेट्रोल, डीजल,प्याज और आलू को अपना ब्रांड एबेंडसडर बनाया था। इस वर्ष अरहर की दाल मेरी ब्रांडिंग कर रही है। यह सब कॉरपोरेट सिस्टम पर आधारित हैं। जिस तरह वहां हर साल ब्रांडएंबेडसडर बदलते हैं,  उसी तरह मैं भी बदलाव करती हूं।

लेखकः आप कब सबसे ज्यादा कब खुश होती हैं।
डायनः जब लोग सामान खरीदने के दौरान मन मारते हुए मुझे कोसते हैं। आई लाइक इट...। (खुशी में) तब मुझे बहुत अच्छा लगता है।

लेखकः वर्ष 2016 के लिए क्या प्लानिंग है...।
डायनः शी...श्श्शी(मुहं पर अंगुली रखकर) दिस इज टॉप सीक्रेट...। इस बारे में मैं आपको ज्यादा नहीं बता सकती हूं...। आगे-आगे देखिए होता है क्या...।

लेखकः क्या शादी का कोई प्लान बनाया है...
डायनः (शर्माते हुए) ...तो आज आप मेरे प्रेमीके बारे में जानकर ही रहेंगे...। चलिए  मैं आज आपको बताती हूं कि आखिर मेरे सपनों का राजकुमार कौन है। मेरे सपनों का शहजादा है काला धन। वह कभी देश और कभी विदेश में रहता है। अभी उसके नाम का बड़ा हल्ला मचा हुआ है। सुना है उसे कई मुल्कों की पुलिस तलाश रही है। इस कारण वह स्थायी रूप  से कहीं रह नहीं पा रहा है। जिस दिन वह कहीं स्थायी रूप  से रहने लगेगा हम दोनों शादी रचा लेंगे। वैसे आपको बता दूं कि मेरे पिता भ्रष्टाचार इस शादी को काफी पहले ही मंजूरी दे चुके हैं। वे काला धन को काफी पसंद करते हैं। पिता जी की इच्छानुसार हमारी मंगनी भी हो चुकी है। बस शादी होना बाकी है...। वी हैव फैमिली प्लानिंग आलसो...। हमारी कई संतानें होंगी जो हमारी परंपरा को आगे बढ़ाएंगी।  सुनिए...आप भी आइएगा हमारी शादी में...।
लेखकः (डरते हुए)- मुझे बख्शो ओ डायन...।

 (नोटः अचानक लेखक पलंग से गिरा और देखा तो सुबह के सात बज चुके थे। लेखक ने बड़ी राहत की सांस ली और डायन से पीछा छुड़ाने के लिए ऊपर वाले को धन्यवाद दिया।)

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