Tuesday 29 December 2015

पत्नी की ईयर एंडर पाती...


(घर से दूर रहकर नौकरी कर रहे पति को पत्नी ने अद्भुत ईयर एंडर (वर्ष 2015 समापन) पाती भेजी है। पेश है उस पाती के अद्भुत अंश...।)

प्रिय प्राणनाथ,

सादर चरण स्पर्श

मैं ठीक-ठाक हूं, उम्मीद करती हूं आप भी ठीक होंगे। मैने सोचा यह साल जाते-जाते आपको कुछ याद दिला दूं। इस दिवाली अपने पड़ोसी शर्मा जी नई कार ले आए। शर्माइन वो कार दिखाकर अब मुझे जलाने लगीं हैं। परसो घर के पड़ोस में रहने वालीं वर्माइन घर आई थीं। उनके पति को प्रमोशन मिला है और तनख्वाह भी काफी बढ़ गई है। अब उनका पैकेज तीन लाख रुपए से बढ़कर पांच लाख रुपए सालाना हो गया है। उन्होंने मुझसे पूछा कि आपकी तनख्वाह कितनी बढ़ी है और प्रमोशन हुआ है कि नहीं। मैंने उनसे झूठ बोल दिया है कि बॉस तो आपकी तनख्वाह बढ़ाने के लिए हमेशा परेशान रहते हैं। आपको दो बार प्रमोट भी कर चुके हैं और तीसरे की तैयारी है। मैंने उन्हें नहीं बताया कि बीते तीन साल में एक धेला भी आपकी तनख्वाह में नहीं बढ़ा है। आप तीन साल पहले जो कुर्सी तोड़ रहे थे, आज भी वहीं कुर्सी घिस रहे हैं। आगे भी कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। कल अपना बच्चा चुन्नू साइकिल के लिए जिद कर रहा था, कह रहा था मम्मा इस साल तो मैं साइकिल लेकर ही मानूंगा। मैंने उसे दस रुपए की प्लास्टिक वाली साइकिल का खिलौना दिलाकर मना लिया है।
मैंने कहा है कि बेटा पापा जब आएंगे तो तुम्हें बहुत अच्छी साइकिल दिलाएंगे। दस साल पहले मेरे दहेज में जो स्कूटर मिली थी अब वह काफी टूट गई है। परसो उसका हैंडल टूटकर गिर गया। आपने एक बार भी उसकी मरम्मत कराना मुनासिब नहीं समझा। हर बार आप कम तनख्वाह और महंगाई का ताना देकर मुझे शांत करा देते हो। आखिर मेरे मायके की चीजों को कब आप गंभीरता से संभालना सीखोगे। इस बार आना तो उसकी मरम्मत जरूर  करा लेना। आपके कहे अनुसार हमने दो सौ रुपए किलो की अरहर दाल खाना बंद कर दिया है। अब हम सब्जी और अन्य चीजों से काम चला रहे हैं। और हां, आज बैंक का रिकवरी एजेंट आया था। बहुत गुस्से में था, कह रहा था जब लोन लेना था, तब अच्छे दिन आएंगे, लोन जल्द चुकाएंगे का जुमला कहकर मिश्राजी दो लाख रुपए का लोन तो पास करवा ले गए। अब किश्त भरने में नानी याद आ रही है। 
उनसे कह देना जल्दी से जल्दी किश्त भर दें वरना खैर नहीं। आपके कहे अनुसार मैंने घर के हर खर्च में कटौती करनी शुरू  कर दी है। और हां...अपने मोहल्ले के लाला पंसारी ने उधार देने से मना कर दिया है। उसका कहना है कि तीन महीने से पांच हजार रुपए बकाया हैं, मिश्रा जी हर बार मूर्ख बनाकर निकल जाते हैं। अब नकद दो तभी सामान मिलेगा। आप जो हर महीने अपनी 15 हजार रुपए की तनख्वाह में दस हजार रुपए भेज रहे हैं, उससे घर चलाना मुश्किल हो रहा है, महंगाई देखिए कहां से कहां पहुंच गई है...20 रुपए किलो वाला प्याज 40-50 और पांच रुपए किलो वाला आलू 20 रुपए में बिक रहा है। आप कोशिश करके साइकिल ले लीजिए और अपने रोज के यात्रा खर्च को हमारे खर्च में जोड़कर भेज दीजिए। मैं जैसे-तैसे काम चला लूंगी। ...और हां आपके छोटे साढ़ू की किसी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी लग गई है। उन्हें सिंगापुर का फैमिली ट्रिप मिला है। वो जनवरी में जा रहे हैं। हमने 31 दिसंबर को वो जो हरिद्वार चलने का प्लान बनाया था, इस बार भी लगता है उसे कैंसिल करना पड़ेगा। क्या करें पैसे ही नहीं बचे हैं। आपने वो जो 1000 रुपए की साड़ी दिलाई थी, वो पहली धुलाई में ही तार-तार हो गई है। मेरी सहेली गीता हाल में ही 25000 की साड़ी लाई है...। बहुत अच्छी साड़ी हैं।  मुझसे वो मेरा साड़ियों का कलेक्शन दिखाने के लिए कह रही थी, मैंने कह दिया कि मेरे सारे कलेक्शन आपके पास हैं। जब आप आएंगे तो मंगवा लूंगी।
घर की छत टूट गई है, बारिश में पानी रिसता है। बिजली का बिल ज्यादा बकाया होने से मीटर कटने की नौबत आ गई है। देवर जी कैसे-तैसे बिजली वालों को घूस देकर काम चला रहे हैं। बाबू जी टूटी छड़ी में कीलिया ठोंक-ठोक कर हार गए हैं। बेचारे हर बार आपके आने के बारे में पूछते हैं। माता जी की मोतियाबिंद का आपरेशन इस बार कराना ही पड़ेगा उन्हें दिखना बंद हो गया है। मेरे प्रिय पतिदेव बीता वर्ष नो छुट्टी, नो इंक्रीमेंट और नो प्रमोशन से गुजर गया। ईश्वर करे 2016 में ऐसा न हो। आप तरक्की की नई सीढ़ियां चढ़े और मुझको ऐसी पाती लिखने की जरूरत  न पड़े।

पुनश्चः सादर चरण स्पर्श
                                                                                                                               आपकी प्रिय पत्नी

No comments:

Post a Comment