उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में स्थित फूलों की घाटी (वैली अॉफ फ्लावर) भारत का राष्ट्रीय उद्यान है। यह उद्यान 87.50 किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। इस घाटी को सन् 1982 को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। यहां पहुंचने के लिए चमोली होते हुए गोविंदघाट पहुंचना पड़ता है। यहां से तीन किमी. पदयात्रा के बाद फूलों की घाटी दिखती है। किंवदंती है कि लंका युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी के उपचार के लिए संजीवनी बूटी खोजने के लिए हनुमान जी इस घाटी में भी आए थे। इस घाटी की खोज ब्रिटेन के फ्रेंक एस स्मिथ और आरएल होल्डवर्थ ने 1931 में की थी। यहां फूलों की पांच सौ से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें करीब 150 फूल तो दुर्लभ किस्म के बताए जाते हैं।
Monday, 14 December 2015
इस घाटी में संजीवनी खोजने आए थे हनुमान जी !
उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में स्थित फूलों की घाटी (वैली अॉफ फ्लावर) भारत का राष्ट्रीय उद्यान है। यह उद्यान 87.50 किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। इस घाटी को सन् 1982 को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। यहां पहुंचने के लिए चमोली होते हुए गोविंदघाट पहुंचना पड़ता है। यहां से तीन किमी. पदयात्रा के बाद फूलों की घाटी दिखती है। किंवदंती है कि लंका युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी के उपचार के लिए संजीवनी बूटी खोजने के लिए हनुमान जी इस घाटी में भी आए थे। इस घाटी की खोज ब्रिटेन के फ्रेंक एस स्मिथ और आरएल होल्डवर्थ ने 1931 में की थी। यहां फूलों की पांच सौ से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें करीब 150 फूल तो दुर्लभ किस्म के बताए जाते हैं।
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