एक मंदिर के बाहर दो युवा भिखारी बैठकर आपस में चर्चा कर रहे थे कि भइया गजब हुई रहा है। बड़े-बड़े दानदाता करोड़ों रुपया ऐसे ही दान में दिए दे रहे हैं। (गुस्से में कटोरा पटकते हुए) यहां ससुर ए माई एक रूपया दे दे..मा ही जीवन कटा जा रहा है। एक भिखारी ने कहा बात तो तुम सही कहात हो गुरु...बट प्राब्लम इस बात की है कि ऐसे दानदाता मिलेंगे कहां...। तभी एक शख्स आता है और दोनों भिखारियों के कटोरे में एक-एक रुपया डालने लगता है। एक भिखारी कहता है क्या बाबू...इतनी महंगाई में भी तुम्हारा कलेजा नहीं पसीजता है। आज देखो...मक्खन, देशी घी, काजू, किशमिश के रेट कहां से कहां पहुंच गए हैं। अब कल की ही लो...हम दोनों सिर्फ पिज्जा और बर्गर खा कर ही सो गए थे। अब बताइए आप अपना बजट नहीं बढ़ाएंगे तो हम खाएंगे क्या। एक भिखारी एक अखबार निकाल कर एक खबर दिखाता है...ये देखो बाबूजी लोगों करोड़ों रुपया यूं ही दान में दिए दे रहे हैं और एक आप हो...एक रुपया दान से बढ़ने का नाम नहीं ले रहो हो...। दान देने वाला शख्स अखबार पढ़ता है...और झेंपते हुए जेब से दस-दस के दो नोट निकालकर दोनों के कटोरे में डालकर आगे बढ़ जाता है। एक भिखारी कहता है...भइया हो न हो अपना ये आइडिया हिट है...। आज इसी आइडिए पर काम किया जाए। दोनों भिखारी ऐसे ही करीब 10-15 लोगों को अखबार दिखाकर अच्छी खासी भीख की रकम जुटा लेते हैं। इस बीच एक शख्स आता है...और दोनों के कटोरे में एक-एक रुपया डालता है....। दोनों फिर वही राग अलापते हैं। वो शख्स अखबार पढ़ता है और फिर जोर-जोर से हंसने लगता है...। दोनों भिखारी पूछते हैं...का हुआ भाईजी...हम ने कुछ गलत कह दिया का...। वह शख्स कहता है नहीं...तुम लोग बिल्कुल सही हो...। चलो आज मैं तुम लोगों को इसका एक और पहलू बताता हूं...। मेरा मानना है कि दान ऐसा होना चाहिए जो एक हाथ से किया जाए तो दूसरे हाथ को पता न चले। इतना ढोल पीटकर दान करने की जरूरत क्या है भाई। क्या खुद को दुनिया का सबसे बड़ा दानवीर साबित करना है। दोनों भिखारी सहमति में सिर हिलाते हुए पूछते हैं...बट माई बिग ब्रदर ये बताओ...फिर ये रुपया जाता कहां है...। वो शख्स कहता है...गुड ...ये बताओ तुम दोनों पढ़े कितना हो...। एक भिखारी बोला...आई एम पोस्ट ग्रेजुएट...दूसरा बोला आई एम ग्रेजुएट विद आनर...। वह शख्स बोला...तभी तुम लोगों का आईक्यू लेवल हाई है...। अब सुनो...एक साल पहले टैक्स से बचने के लिए मुझे मेरे वकील ने सुझाया कि आप कुछ रकम दान दे दीजिए। उस दान की रकम से टैक्स में छूट मिल जाएगी। मैंने पूछा कि आखिर मैं किसको ये रकम दान दूं...तो उन्होंने मुझे एक सौभाग्यशाली भिखारी का नाम सुझाया...। मैं बड़ी रंगबाजी से वहां दान देने पहुंचा तो देखा बड़े-बड़े धन्ना सेठ दान की मोटी गठरी लेकर लाइन में लगे थे। मैंने पूछा भाई ये सौभाग्यशाली भिखारी है या फिर कोई करोड़पति। एक सेठ ने कहा धीरे बोलिए वह सुन लेंगे तो आपका दान कैंसिल कर देंगे। करीब दो-तीन घंटे बाद मेरा नंबर आया तो उस सौभाग्यशाली भिखारी ने मुझे दो तीन इनवेंस्टमेंट प्लान दिखाए...। मैंने एक प्लान पसंद किया तो उन्होंने तुरंत मेरा पैसा जमा कराया और 90 फीसदी रकम लौटाकर पर्ची पूरे दान की बना दी। मैं बड़ा खुश हो गया...यार दस फीसदी रकम देकर मैंने काफी टैक्स बचा लिया। अब ये बताओ हमेशा दानदाता जनवरी से मार्च के बीच में ही क्यों जागते हैं...साल में और भी कई महीने होते हैं...तब कोई नहीं दान देने के लिए निकलता। जरूरी नहीं है कि सभी ऐसा करते हो। तुम सौभाग्यशाली भिखारियों के चक्कर में न पड़ो...। फिलहाल तुम एक रुपए में ही काम चलाओ...। ये कहकर वह दोनों के कटोरे में एक रुपए डालने लगता है...दोनों भिखारी खुशी-खुशी वह भीख ले लेते हैं और थैक्स अ लॉट कहकर उस शख्स को विदा कर देते हैं।
Saturday, 16 January 2016
सौभाग्यशाली भिखारी...
एक मंदिर के बाहर दो युवा भिखारी बैठकर आपस में चर्चा कर रहे थे कि भइया गजब हुई रहा है। बड़े-बड़े दानदाता करोड़ों रुपया ऐसे ही दान में दिए दे रहे हैं। (गुस्से में कटोरा पटकते हुए) यहां ससुर ए माई एक रूपया दे दे..मा ही जीवन कटा जा रहा है। एक भिखारी ने कहा बात तो तुम सही कहात हो गुरु...बट प्राब्लम इस बात की है कि ऐसे दानदाता मिलेंगे कहां...। तभी एक शख्स आता है और दोनों भिखारियों के कटोरे में एक-एक रुपया डालने लगता है। एक भिखारी कहता है क्या बाबू...इतनी महंगाई में भी तुम्हारा कलेजा नहीं पसीजता है। आज देखो...मक्खन, देशी घी, काजू, किशमिश के रेट कहां से कहां पहुंच गए हैं। अब कल की ही लो...हम दोनों सिर्फ पिज्जा और बर्गर खा कर ही सो गए थे। अब बताइए आप अपना बजट नहीं बढ़ाएंगे तो हम खाएंगे क्या। एक भिखारी एक अखबार निकाल कर एक खबर दिखाता है...ये देखो बाबूजी लोगों करोड़ों रुपया यूं ही दान में दिए दे रहे हैं और एक आप हो...एक रुपया दान से बढ़ने का नाम नहीं ले रहो हो...। दान देने वाला शख्स अखबार पढ़ता है...और झेंपते हुए जेब से दस-दस के दो नोट निकालकर दोनों के कटोरे में डालकर आगे बढ़ जाता है। एक भिखारी कहता है...भइया हो न हो अपना ये आइडिया हिट है...। आज इसी आइडिए पर काम किया जाए। दोनों भिखारी ऐसे ही करीब 10-15 लोगों को अखबार दिखाकर अच्छी खासी भीख की रकम जुटा लेते हैं। इस बीच एक शख्स आता है...और दोनों के कटोरे में एक-एक रुपया डालता है....। दोनों फिर वही राग अलापते हैं। वो शख्स अखबार पढ़ता है और फिर जोर-जोर से हंसने लगता है...। दोनों भिखारी पूछते हैं...का हुआ भाईजी...हम ने कुछ गलत कह दिया का...। वह शख्स कहता है नहीं...तुम लोग बिल्कुल सही हो...। चलो आज मैं तुम लोगों को इसका एक और पहलू बताता हूं...। मेरा मानना है कि दान ऐसा होना चाहिए जो एक हाथ से किया जाए तो दूसरे हाथ को पता न चले। इतना ढोल पीटकर दान करने की जरूरत क्या है भाई। क्या खुद को दुनिया का सबसे बड़ा दानवीर साबित करना है। दोनों भिखारी सहमति में सिर हिलाते हुए पूछते हैं...बट माई बिग ब्रदर ये बताओ...फिर ये रुपया जाता कहां है...। वो शख्स कहता है...गुड ...ये बताओ तुम दोनों पढ़े कितना हो...। एक भिखारी बोला...आई एम पोस्ट ग्रेजुएट...दूसरा बोला आई एम ग्रेजुएट विद आनर...। वह शख्स बोला...तभी तुम लोगों का आईक्यू लेवल हाई है...। अब सुनो...एक साल पहले टैक्स से बचने के लिए मुझे मेरे वकील ने सुझाया कि आप कुछ रकम दान दे दीजिए। उस दान की रकम से टैक्स में छूट मिल जाएगी। मैंने पूछा कि आखिर मैं किसको ये रकम दान दूं...तो उन्होंने मुझे एक सौभाग्यशाली भिखारी का नाम सुझाया...। मैं बड़ी रंगबाजी से वहां दान देने पहुंचा तो देखा बड़े-बड़े धन्ना सेठ दान की मोटी गठरी लेकर लाइन में लगे थे। मैंने पूछा भाई ये सौभाग्यशाली भिखारी है या फिर कोई करोड़पति। एक सेठ ने कहा धीरे बोलिए वह सुन लेंगे तो आपका दान कैंसिल कर देंगे। करीब दो-तीन घंटे बाद मेरा नंबर आया तो उस सौभाग्यशाली भिखारी ने मुझे दो तीन इनवेंस्टमेंट प्लान दिखाए...। मैंने एक प्लान पसंद किया तो उन्होंने तुरंत मेरा पैसा जमा कराया और 90 फीसदी रकम लौटाकर पर्ची पूरे दान की बना दी। मैं बड़ा खुश हो गया...यार दस फीसदी रकम देकर मैंने काफी टैक्स बचा लिया। अब ये बताओ हमेशा दानदाता जनवरी से मार्च के बीच में ही क्यों जागते हैं...साल में और भी कई महीने होते हैं...तब कोई नहीं दान देने के लिए निकलता। जरूरी नहीं है कि सभी ऐसा करते हो। तुम सौभाग्यशाली भिखारियों के चक्कर में न पड़ो...। फिलहाल तुम एक रुपए में ही काम चलाओ...। ये कहकर वह दोनों के कटोरे में एक रुपए डालने लगता है...दोनों भिखारी खुशी-खुशी वह भीख ले लेते हैं और थैक्स अ लॉट कहकर उस शख्स को विदा कर देते हैं।
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