(एक टीवी चैनल पर शांति और अमन कैसे बढ़ाएं विषय पर बहस का शो प्रसारित हुआ। पेश है उस शो के कुछ काल्पनिक अंश लेखक की कलम से...)
एंकरः नमस्कार मित्रो, आज हमारे शो में बहस का मुख्य मुद्दा है शांति और अमन कैसे बढ़ाएं। हमारे साथ हैं जाने-माने शांतिदूत श्री झगड़ामल जी, अमन का पैगाम देने वाले श्री ताबड़तोड़ जी और श्री अहिंसक जी। तो मेरा सबसे पहला सवाल है श्री झगड़ामल जी से ...। आप बताइए आखिर इस देश में शांति और अमन को कैसे बढ़ाया जाए।
झगड़ामलः (कुर्ता ठीककर बाल संवारते हुए) नमस्कार मित्रो। पहले तो इस चैनल और उसके मुखिया का धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने मेरे कई बार आग्रह के बाद मुझे इस मंच पर बोलने के लिए आखिर आमंत्रित ही कर लिया। हो सकता हो कोई और न मिला हो, मुझे बुलाने की मजबूरी हो। उसके लिए धन्यवाद। देखिए...बड़ा सुंदर विषय है शांति और अमन को कैसे बढ़ाएं। इस मंच पर मैं अपनी पड़ोसन शांति और उसके बेटे अमन का उदाहरण देना चाहूंगा। मेरी सुबह की नींद शांति के चिल्लाने पर खुलती है। वह रोज अपने बेटे अमन को जमकर डांटती है। कभी-कभी बात बढ़ने पर मुगरी से पीटना भी शुरू कर देती है। दोनों का जीवन मेरे लिए तो आदर्श है।
एंकरः (अचानक बीच में बोलता है) झगड़ामल जी मैं आपका ध्यान इस शांति और अमन की ओर नहीं बल्कि उस शांति और अमन की ओर खीचना चाहता हूं जो देश के लिए जरूरी है।
झगड़ामलः मुद्दे पर आ रहा हूं भई, आप लोग तो तुरंत टांग खींचने लगते हो। अरे भई....
ताबड़तोड़ः (अचानक बोलते हैं) अरे ये क्या बताएगा...जो खुद शांति का सबसे बड़ा दुश्मन हो। बिना झगड़ा किए इसे खाना नहीं हजम होता है...। ये तो अपने इलाके में शांति के दुश्मन के रूप में बदनाम है...ठरकी नेता।
झगड़ारामः अपनी हद मे रहो ताबड़तोड़...। पिछली बार की पिटाई याद नहीं है क्या...।
ताबड़तोड़ः क्या कर लोगे बे...मुझे अहिंसक समझ रखा है क्या जो दो चाटे खाकर जी भाई साहब माफ करना कहकर लौट जाए। अब झगड़ा किया तो टांग तोड़ दूंगा।
एंकरः सभी लोगों से आग्रह है कि वे विषय पर आएं...वरना हम ब्रेक ले लेंगे।
अहिंसकः गोली मारो ब्रेक को...पहले तो ये बताओ अपुन का नाम किसने लिया। बेटा गुस्सा न दिलाओ...वरना एक-एक कर सबकी टांगें तोड़ दूंगा।
एंकरः (झूठी हंसी के साथ) हम जल्द ही ब्रेक के बाद लौटेंगे।
(पांच मिनट के लिए ब्रेक होता है और फिर शो का प्रसारण शुरू होता है।)
एंकरः ...तो चलिए शांति और अमन के मुद्दे पर शुरू करते हैं बहस। ताबड़तोड़ जी इस मुद्दे पर आप क्या कहेंगे।
ताबड़तोड़ः भाई जी इस झगड़ामल को समझा लो...मुझे घूर रहा है...अभी यहीं गिराकर मारूंगा...।
झगड़ामलः अबे क्या मुझको ऐसा-वैसा समझ रखा है...(दोनों हाथ की बाहें चढ़ाकर) हत्थे आ गया तो ऐसा गिराकर मारूंगा कि छह महीने सिर्फ सिकाई करने में ही चले जाएंगे।
एंकरः आप जैसे शांति के दूतों को यह बर्ताव शोभा नहीं देता। यह शो लाइव है...कृपया मर्यादा बनाए रखिए....।
अहिंसकः गुरु...अपुन का दिमाग तो सटक गया है। यार बेइज्जती कराने के लिए बुलाया था तो बता देते फिर वैसे इंतजाम और लाव लश्कर के साथ आता...।
ताबड़तोड़ः नहीं तो क्या कर लोगे बे....। (कुर्सी छोड़कर) आ जा बे मजा चखाता हूं।
तीनों वक्ता आपस में एक दूसरे के कपड़े फाड़ने लगते हैं। मारपीट शुरू हो जाती है। कुर्सियां फेंकीं जाने लगती हैं। फर्नीचर तोड़ दिया जाता है। ईट-गुम्मे चलने लगते है। एंकर बीच-बचाव करने जाता है तो धकिया कर किनारे कर दिया जाता है। करीब आधे घंटे की मारपीट के बाद टूटे माइक के साथ एंकर बोलता है तो ये था अमन और शांति का पैगाम...। धन्यवाद...।
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