Friday 13 February 2015

चाचा चौधरी और नागराज कहां हो...



बचपन के झरोखे से रह-रहकर बीती यादों की हवा मन को झुमाया करती है। कुछ दिन पहले मैं एक बुक स्टॉल के सामने से गुजर रहा था, तभी मुझे वहां दो-तीन कॉमिक्सें टंगी हुईं नजर आईं। उन पर नजर पड़ते ही मेरी बीती यादों का एलबम खुल गया। मुझे ये तो याद नहीं की मैंने कॉमिक्स पढ़ना कबसे शुरू किया लेकिन हां ये जरूर याद है कि मेरे मनपसंद कार्टून कैरेक्टर चाचा चौधरी, नागराज, कैप्टन ध्रुव, तौसी, बांकेलाल, मोटू-पतलू, कैप्टन बांड, फैंटम, पिंकी, बिल्लू, रमन, डोंगा जैसे पात्र थे। चाचा चौधरी को उस दौर में हम सुपर कंप्यूटर का पिताजी मानते थे। क्योंकि उनका दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता था। चाचा चौधरी का साथी है साबू, जो जूपिटर ग्रह का निवासी है और जिसका शरीर दैत्याकार है। इसी तरह, "जब 'साबू' को गुस्सा आता है तो जुपिटर पे कोई ज्वालामुखी फटता है। चाचा चौधरी की बीवी का नाम बिनी चाची है। इनके कोई बच्चे नहीं हैं पर इसी कॉमिक दुनिया के पात्र, 'बिल्लू' और 'पिंकी' चाचा चौधरी के बच्चों सामान ही हैं। चाचा का कुत्ता राकेट भी अपने आप में उम्दा पात्र है। खासकर उसकी स्लर्प-स्लर्प कर दूध पीने की स्टाइल भूली नहीं जाती। चाचा का ट्रक डगमग भी अपने आप में खास तरह का वाहन है।  गोबर सिंह और राका जैसे विलेन हमेशा चाचा से मात खा जाते हैं। खासकर गोबर सिंह की योजना को चाचा बड़ी ही चालाकी से धराशायी कर देते हैं और साबू जमकर धुनाई करता है। उसके मुक्कों की ढिशुम-ढिशुम की आवाज एक अलग तरह का रोमांच मन में पैदा कर देती थी। इन्हीं कैरेक्टरों में दूसरा नाम आता है नागराज का। मैं कई महीने तक नागराज की उत्पत्ति वाली कॉमिक्स पढ़ने के लिए बुक स्टॉलों की खाक छानता रहा। आखिर एक दिन मुझे नागराज के जन्म की कॉमिक्स हाथ लग गई। मुझे पता चला कि नागराज राजा तक्षकराज और रानी ललिता का बेटा है। अपने अमर और विलेन चाचा नागपाश, प्रोफ़ेसर नागमणि, थोडंगा, नागदंत, टुटन खामेन, मिस किलर, नगीना, विषंधर, जादूगर शकूरा, गुरुदेव, केंटुकी, पोल्का, ज़ुलू, सपेरा, करणवशी, पारदर्शी, विष-अमृत को नागराज ने अपनी खास स्टाइल से हमेशा धूल चटाई। सम्मोहन में मॉस्टर नागराज जब हाथों से सांप छोड़ता था तो बड़े-बड़ों के छक्के छूट जाते थे। मुझे उसकी वो स्टाइल बहुत भाती थी। कैप्टन क्रुकबांड और मोटू की कार मैं अभी तक नहीं भूला हूं। जमीन, पानी और हवा में चलने वाली वो कार मुझे आज भी याद है। पतला दुबला कैप्टन और भारी-भरकम मोटू के हर किस्से मेरी जुबां पर रटे हुए थे। मुझे कॉमिक्स में यदि कोई पात्र सबसे ज्यादा हंसोड़ा लगा तो वो था बांकेलाल। सपने देखने वाला बांकेलाल एक ऋषि के श्राप के चलते हमेशा अपने राजा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता था लेकिन होनी उसे अच्छे में बदल देती थी। हमेशा राजा की गद्दी हथियाने में लगे रहने वाला बांकेलाल को कभी भी सफलता नहीं मिली। इसके अलावा मुझे बिल्लू के बाल कभी नहीं भूलते। हमेशा आंखों तक ढके रहने वाले वे बाल उसे एकदम खास बना देते थे। पिंकी की चालाकी और हंसी ने भी मेरे मन पर गहरा प्रभाव डाला था। इसके अलाव कैप्टन ध्रुव की बाइक और डोंगा की मशीनगन और उसके खास किस्म का चेहरा जेहन में अजीब तरह की सरसराहट पैदा कर देता था। इन पात्रों ने हमेशा मुझे बुराई से लड़ने और अच्छाई के रास्ते पर चलने की सीख दी। आधुनिकता के इस दौर में न तो अब ऐसे पात्र रह गए और न उनकी बहादुरी की मिसालें। काश ऐसे पात्र हकीकत में हमारे देश में आ जाएं तो कॉमिक्स बने हमारे देश की दशा सुधर जाए...।

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