Friday 18 December 2015

सुखी दांपत्य जीवन के लिए तलाकशुदा के टिप्स


सुखीराम की कुछ दिन पहले ही बड़ी धूमधाम से शादी हुई थी। जनातियों ने बारातियों के स्वागत के लिए शानदार इंतजाम किए थे। लेकिन अफसोस इतना सम्मान पाकर हमेशा की तरह इस बार भी बारातियों का दिमाग फिर गया। फिर उन्होंने वो किया जिसने जता दिया कि हां यहां जरूर  बाराती आए होंगे। फटे गद्दे, टूटी कुर्सियां, गायब प्लेट और चम्मच, पान मसाले की चित्रकारी से रंगी चादरें, जगह-जगह बिखरा खाना और मदिरा की खाली बोतलें चीख-चीख कर अपनी आप बीती सुना रहे थे। जनातियों ने कैसे-तैसे कलेजे पर पत्थर रखकर  बारात को विदा किया। अभी शादी के एक-दो माह ही बीते थे, अचानक पता चला कि सुखीराम का तलाक हो गया। तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं। कोई बोला, बहुरिया बहुत बदमाश राहै, कोई बोला लागत है सुखीराम मा ही कउनो कमी हुइए...। कुछ लोगों ने सुखीराम से पूछने की कोशिश की तो वह हंसकर टाल देता। करीब दो माह बाद सुखीराम की एक किताब प्रकाशित हुई। उस किताब का शीर्षक था सुखी दांपत्य जीवन के लिए तलाकशुदा के टिप्स...। लोग यह शीर्षक पढ़कर चौंक गए। उत्सुकतावश लोगों ने यह किताब खरीदनी शुरू  कर दी। एक जिज्ञासु भी किताब खरीदकर लाया और पढ़ने में जुट गया। किताब के पहले पन्ने पर लिखा था...मेरी प्यारी पूर्व पत्नी कल्लो को समर्पित...। प्रस्तावना में सुखीराम ने लिखा कि शादी के बाद हमारे में बीच में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जिसकी वजह तलाक बन सके। हम हंसी-खुशी जीवन व्यतीत कर रहे थे। एक दिन अचानक मैंने अपनी पत्नी से तलाक लेने का फैसला ले लिया। इसकी वजह मैं यहां स्पष्ट नहीं करना चाहूंगा। चलिए अब मैं आपको बताता हूं कि आखिर कैसे एक सुखी जीवन व्यतीत किया जाए...।

1-     अपने जीवनसाथी को पूरा सम्मान दें, उसकी भावनाओं को समझें।

2-    जितना ज्यादा हो घूमते-फिरते और साथ-साथ खाते-पीते रहें इससे प्रेम बढ़ता है।

3-    एक-दूसरे के परिवार को पूरा सम्मान दें, कभी किसी को नीचा मत दिखाएं।

4-    अपने प्रेम का इजहार समय-समय पर करते रहें, ताकि अहसास बना रहें।

5-    हमेशा एक-दूसरे को दुनिया में सबसे बेहतर की दृष्टि से देखें।

6-     एक-दूसरे को घर के हर मामले में दखल देने का अधिकार दें।

7-     छोटी-छोटी बातों को लेकर एक-दूसरे पर जबरन आरोप मढ़े न।

8-     तनाव बढ़ने पर एक शख्स चुप होकर दूसरे की बातों को गौर से सुनें।

9-    घर के मामलों में बार-बार बड़ों को मत बुलाएं, इससे हीन भावना बढ़ती है।

10-  घर के लिए हर नई योजना  पर दोनों  चर्चा करें  और एकमत राय बनाएं।

11- अपनी भावनाओं और विचारों को जबरन दूसरे पर थोपें मत।

12- गलती पर तुरंत क्षमा का भाव रखें।

13-  सबसे बड़ी और खास बात एक-दूसरे पर भरोसा रखें। जबरन शक न करें।

14- सकारात्मक विचारों पर ज्यादा चर्चा करें। 

 
सुखीराम की किताब लोगों को बहुत पसंद आई। किताब उस साल की बेस्ट सेलर बुक बन गई। एक दिन अखबार में एक खबर ने सभी को आश्चर्य में डाल दिया। खबर का शीर्षक था ...सुखीराम ने पूर्व पत्नी से फिर शादी रचाई। खबर में सुखीराम के हवाले से लिखा था...मेरे और मेरी पत्नी के बीच ऐसा कुछ भी नहीं था...जो हमारे बीच तलाक की वजह बनता। मैं अपने सुखी दांपत्य जीवन से काफी संतुष्ट था। मैंने जितने भी टिप्स किताब में दिए हैं, वे सब हमारे जीवन में लागू थे। हम हंसी-खुशी जीवन गुजार रहे थे। लेकिन आए दिन पती और पत्नी के तलाक और खुदकुशी की खबरें मुझे झकझोरती थी। मैंने सोचा चलो दुनिया में कुछ लोगों का भला किया जाए। यदि सीधे तरीके से मैं अपनी बात कहूंगा तो कोई गौर नहीं करेगा। इसलिए मैंने इस शीर्षक के साथ अपनी किताब प्रकाशित करवाने का फैसला लिया। इसके लिए मैंने पत्नी से तलाक मांगा। जनकल्याण के लिए मेरी पत्नी खुशी-खुशी मुझसे अलग हो गई। अब मेरी किताब प्रकाशित हो चुकी है और मैं बड़ा लेखक बन चुका हूं। इसलिए प्लानिंग के तहत हम फिर एक हो गए हैं। अब मैं जो कहूंगा...ये दुनिया उस पर गौर करेगी।


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