Monday 21 December 2015

बिकाऊ है शादी की शेरवानी, सेहरा...


बतोलेबाज ननकऊ को लंबी-लंबी छोड़ने का बड़ा शौक था। अक्सर वो किसी की शादी में जाता था तो कहता था, अमां पूरा मूड खराब हो गया...। इससे बढ़िया खाना तो मेरे घर में बनता है। (मुंह पिचकाकर)...शाही पनीर से पनीर गायब थी, तंदूर की रोटियां ऐसी मानो रबर काट रहे हो।...वो तो जिसकी शादी थी वो मेरा करीबी न होता तो मैं झांकने न जाता...। दोस्त समझाते नहीं यार किसी के इंतजाम का ऐसा मजाक नहीं उड़ाते लेकिन वह नहीं मानता। वह दावा करता था कि देखना जब मेरी शादी होगी तो तुम लोग कई बरसों तक याद रखोगे। मक्कारी में पीएचडी कर चुके ननकऊ का जीवन अजगर करै न चाकरी, पंक्षी करै न काज वाले सिद्धांत पर चल रहा है। उसका मानना है कि आपको काम तलाशने की आवश्यकता नहीं है, काम आप तक खुद चलकर आएगा। ननकऊ के लिए रिश्ता खोज-खोजकर पिता चिंतामणि रिटायर्ड हर्ट हो गए लेकिन एक भी रिश्ता नहीं मिला। लड़की वालों का तर्क था बेरोजगार दामाद को ढोया जा सकता है लेकिन नक्शेबाज को किसी भी कीमत पर नहीं। अचानक एक दिन पंडित जी घर आए और चीखे... मिल गई...अपनी ननकऊ की बहुरिया मिल गई। चिंतामणि लड्डू और दक्षिणा लेकर पंडित जी के पास ऐसे पहुंचे और पूछा कहां मिली। पंडित जी बोले, सात कोस पर एक गांव है बंजारापुरवा। वहां रहने वाले चौधरी साहब अपनी बिटिया के लिए लड़का तलाशते-तलाशते थक गए हैं। अब वो कह रहे हैं कोई भी पकड़ लाओ... बस इसके हाथ पीले करने हैं। चिंतामणि ने पूछा उम्र कितनी है....। यही कोई 45-46 साल। अरे उम्र छोड़िए साहब, मैंने तो 50-50 साल में जोड़ों की शादी करवाई है। पढ़ी कितना है...। पांचवी पांच बार फेल...। इसके बाद स्कूल छोड़ दिया। खाना पका लेती है। पंडित जी बोले, घर में पांच-छह नौकर होने के कारण कभी खाना बनाने की जरूरत  नहीं पड़ी। अच्छा कुछ दान दहेज मिलेगा। देख भाई लड़की का पिता दहेज विरोधी संस्था का अध्यक्ष है। गलती से उसका नाम भी मत लेना वरना शादी एक तरफ हो जाएगी। कटोरे के लड्डू झोले में भरते हुए पंडित जी बोले..सोच का रहे हो...इससे बढ़िया रिश्ता नहीं मिलेगा। हां करो वरना मैं दूसरी जगह बात करूं...।  मजबूरी में चिंतामणि को हां कहना पड़ा। एक महीने बाद ब्याह पक्का हो गया। ननकऊ को बड़े घर में शादी तय होने की बात मालूम पड़ी तो वह फूले नहीं समाया। लोगों के सामने लंबी-चौड़ी छोड़ने लगा। उसने शादी की खरीदारी के लिए पिता से पैसे मांगे तो उन्होंने साफ मना कर दिया। बेटा शादी से मना न कर दे इसलिए पिता ने दहेजविरोधी वाली बात नहीं बताई।  इज्जत बचाने के लिए ननकऊ ने गांव के गोगा पहलवान से शादी के नाम पर लंबा चौड़ा कर्जा ले लिया। पहलवान ने अमानत मांगी तो कहा दहेज में जो मिलेगा वो सब तुझे दे दूंगा। तेरा कर्जा भी निपट जाएगा और मेरी लाज भी बच जाएगी। लंबे चौड़े बैंड, कारों के काफिले, आतिशबाजों की फौज संग राजसी शेरवानी और सेहरे से सजे संवेरे ननकऊ की बारात जब चौधरी के दरवाजे पर पहुंची तो लोग देखते ही रह गए। सभी कह रहे थे गुरु आजतक ऐसी बारात न देखी।  द्वारचार के बाद दूल्हा स्टेज पर पहुंचा तभी कुछ बाराती शिकायत लेकर पहुंचे। यार यहां तो पंगत में बैठाकर खिला रहे हैं। ये कोई इंतजाम है...। खाना लग रहा है एक दिन पहले बना हो...। बासी आक थू...। ननकऊ हंसकर टालने की कोशिश करता तो बाराती कहते गुरु तुम भी तो बहुत कमी गिनाते थे। आज ननकऊ को बड़ा दुख  हो रहा था। रात में फेरे हुए तो ननकऊ को एक रुपए की दक्षिणा नहीं मिली। बेचारे ने सोचा चलो कलेवा से पहलवान को देने के लिए पैसे निकल आएंगे। कलेवा में मात्र लड़की की मां आई और ननकऊ का मुंह मीठा कराकर जाने लगी। ननकऊ ने बड़ी उम्मीद से देखा तो बोलीं बेटा बुरा मत मानना, कल्लो के पिता जी ने आज तक कहीं कोई व्यवहार नहीं किया इसलिए कोई व्यवहार नहीं आया। वे दहेज विरोधी हैं। ये सुनते ही ननकऊ की आंखों के सामने अंधेरा छा गया...। एक डलवा पूड़ी, आधा डलवा लड्डू और पांच-पांच किलो आटा, दाल, चावल के साथ ननकऊ विदा किए गए।  विदाई के दौरान दुल्हन तो कम रोई पर ननकऊ फूट-फूट कर रोया। जिसने भी देखा तो उसकी आंख नम हो गई। सभी कहने लगे भाई चौधरी किस्मती है लड़की से ज्यादा दामाद दुखी है। बारात गांव लौट आई...। हर तरफ ननकऊ की थू-थू हो रही थी। मारे शरम के वह घर से बाहर नहीं निकला। दूसरे दिन गोगा पहलवान घर आया तो शादी में मिले गिफ्ट को देखकर उसका पारा चढ़ गया। गुस्से में बोला ...इससे अच्छा दहेज तो हमारे गांव के बटाईदारों को मिलता है। तू धर...इसको। ये बता मेरा पैसा मुझे कैसे वापस मिलेगा। मजबूरी में ननकऊ को शादी की शेरवानी, जूती और सेहरा पहलवान को कर्ज की पेशगी की रूप  में देना पड़ा। गोगा पहलवान ने अपने अखाड़े के बाहर बोर्ड लगाया बिकाऊ है शादी की सेरवानी और सेहरा...। सुना है कर्जा चुकाने के लिए ननकऊ को पहलवाने के तबेले में काम करना पड़ रहा है। लोग चुटकी लेते हुए कहते हैं, भइया बढ़िया हुआ सेर को सवा सेर मिल गया...। अब ननकऊ जिस किसी भी शादी में जाते हैं तो तारीफ करते हुए नहीं थकते हैं...।

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