Friday 25 December 2015

...तो अरब मुल्कों में भी चलता था भारतीय रुपया



आपको जानकर हैरत होगी कि भारत विश्व की उन प्रथम सभ्यताओं में से है जहाँ सिक्कों का प्रचलन शुरू हुआ। जानकारों की माने तो करीब 6वीं सदी ईसा पूर्व में रुपए शब्द का अर्थ, शब्द 'रूपा' से जोडा जा सकता है जिसका अर्थ होता है चांदी। संस्कृत में 'रूप्यकम्' का अर्थ है 'चाँदी का सिक्का'। रुपया शब्द सन् 1540 - 1545 के बीच शेरशाह सूरी की ओर जारी किए गए चांदी के सिक्के के लिए उपयोग में लाया गया था। मूल रुपया चाँदी का सिक्का होता था, जिसका वजन 11.34 ग्राम था। यह सिक्का ब्रिटिश भारत के शासन काल में भी उपयोग में लाया जाता रहा। बीसवीं सदी में फारस की खाड़ी के देशों तथा अरब मुल्कों में भारतीय रुपया मुद्रा के तौर पर प्रचलित था। इसे मुद्रा के रूप में मान्यता थी। सोने की तस्करी बढ़ने पर रिजर्व बैंक ने एहतियातन 1959 में गल्फ रूपी का विपणन किया। साठ के दशक में कुवैत तथा बहरीन ने अपनी स्वतंत्रता के बाद अपनी ख़ुद की मुद्रा प्रयोग में लानी शुरू की तथा 1966 में भारतीय रुपये में हुए अवमूल्यन से बचने के लिए क़तर ने भी अपनी मुद्रा शुरू कर दी ।

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